Claver vs Sensible

दो भेड़े थी। जो बहुत अच्छी दोस्त थीं। एक भेड़ बहुत चलाक थी। तो दूसरी सिर्फ समझदार। वो जंगल के उसी रास्ते पर अपना भोजन तलाशती जहाँ खतरा नहीं होता था।

वो दोनों कभी जंगल के अंदर नहीं गयी थीं। एक दिन उनका मन जंगल के अन्दर जाने का हुआ, क्योकि अच्छी घाँस  न मिलने की वजह से उनका पेट भरा नहीं था।

वो दोनों जंगल में जाने की सोचने लगीं। समझदार भेड़ को जंगल में जाना अजीब लग रहा था। पर चलाक भेड़ को भूख ज्यादा लगने से वो इस बात पर अड़ गयी। फिर क्या था।

 भूख इंसान को कहीं पर भी ले जाती है। दोनों जंगल की ओर चल दियें। उन्हें जानवरों का डर भी लग रहा था।
पर रास्ते में थोड़ी थोड़ी घाँस मिल जाने से वो दोनों खाते खाते आगे बढ़ जाती थीं।
जानवरों से जहरीले साँपो से बचते बचाते वो जंगल के बीच पहुंच गए।

उन्होंने एक गुफा देखी। चलाक भेड़ को गुफा के अंदर जाने का विचार आया। पर समझदार भेड़ ने कहा की ये शेर की गुफा है।

शेर गुफा में हो सकता है। चलाक भेड़ ने कहा की ये पंजो के निशान देखो। ये निशान गुफा से बाहर जाता हुआ दिख रहा है। शेर अपना भोजन ढूंढने गया होगा।

अभी उसे आने में एक पहर निकल जायेगा। ये बात कह कर चलाक भेड़ गुफा में चली गयी और चिल्ला कर कहा गुफा में कोई नहीं है। तुम भी आ जाओ।

ये सुन कर समझदार भेड़ भी अन्दर चली गयी। वो गुफा में जैसे जैसे जाने लगें उन्हें कभी किसी जानवर की हड्डी मिलती तो कभी जानवर का कंकाल।

कुछ आधे खाये जानवर भी मिलें। जिनके सिर कहीं पाँव कहीं और धड़ शायद शेर के पेट में।

ये सब देख कर वो दोनों बुरी तरह डर गयें। वो दोनों लड़खड़ाते हुए बाहर की ओर भागने लगें तभी शेर किसी छोटे जानवर को मुँह में दबोचे गुफा के रास्ते आ रहा था।

भेड़ों ने शेर को देख लिया उनकी में, में निकलती आवाज अचानक शांत हो गयी। वो दोनों गुफा के किनारे छूप
गए।

शेर गुफा में आया। और दहाड़ते हुए बोला आज का दिन ही ख़राब है " इतना दौड़ा भागा हाथ क्या आया ये पिद्दी सा जानवर।" उसने अपने पंजे से जानवर को घुमाया, दाएं बाएं किया।

और फिर बोला इसमें तो ढंगका माँस भी नहीं है।

 जबान लगाऊं तो ये झट से गायब हो जायेगा। छुपी हुई भेड़े इतना डर गयीं की दोनों की चीख निकल गयी और में में करने लगीं।

शेर के कान उठ गएँ वो तुरंत गुफा के रास्ते पर खड़ा हुआ और खूब दहाड़ा और बोला यदि कोई जानवर मेरी
गुफा में है तो मेरे सामने आ जाओ वरना मेरे ढूंढने पर तुमको बहुत तकलीफ दूंगा फिर खा जाऊंगा।

 शेर की धमकी सुनकर दोनों भेंड़ें उसके सामने आ गयी। पहली भेंड़ जो बहुत चलाक थी शेर को सामने देख कर उसकी बोलती बंद हो गयी।

शेर को देख कर दूसरी की भी जान निकल रही थी। पर वो इतना नहीं डर रही थी की कुछ बोल न सके। शेर ने कई जानवर खाएं थें। पर भेंड़ को वो पहली बार देख रहा था।

जब शेर उन दोनों के पास आया तो उन दोनों ने सारी कहानी बिलकुल तोते की तरह बता दी।

 फिर शेर ने कहा ये मेरा सौभाग्य है की मुझे इस पिद्दी से जानवर के अलावा दो मोटे जानवर मिल गएँ। दूसरी भेंड़ जो समझदार थी शेर से काँपते आवाज में बोली "अभी आप कह रहें थें आप ने बहुत देर बाद ये जानवर पकड़ा जो आप के भूख के सामने बहुत छोटा है।

 शेर ने कहा "हाँ तो उससे क्या "

भेंड़ आगे बोली हम दोनों से मिलने के पहले आप ने ये भी कहा की आज का दिन बहुत ख़राब है और अगर आप अपना पूरा दिन ख़राब नहीं करना चाहते हो तो हम दोनों को छोड़ दें और जाने दें।

 शेर को लगा की ये जानवर लड़ने की चुनौती दे रही है। वो दहाड़ते हुए बोला क्या तुम मुझसे लड़ना चाहती हो भेंड़ ने कहा नहीं जंगल के राजा मैं बे-दाँत की जानवर आप जैसे महान को कैसे चुनौती दे सकती हूँ।

 उसने आगे कहा "मैं जिस किसान के घर पर रहती हूँ। मैंने उसे अक्सर खाना कहते देखा है। उसके खाने में कभी कभी बाल आ जाता है और वो उससे घिंन करता है।

पूरा खाना भी अपने पास से हटा देता है और कहता है मेरा पूरा दिन ख़राब हो गया अब खाना नहीं खिलायेगा मुझसे।

भेंड़ की बात शेर ने गौर से सुनी वो देख रहा था। की भेंड़ के शरीर पर बाल ही बाल हैं उसे भी बाल से नफरत थी भेंड़ बोली आप ने मेरे शरीर पर बाल देखें हैं अगर
आप मुझे खातें हैं तो माँस से ज्यादा आप के मुँह और पंजों में मेरे बाल ही बाल होंगे।

शेर ने कहा की मेरी गुफा में आने वाला कोई भी जानवर जिन्दा वापस नहीं जाता। समझदार भेंड़ सोच कर बोली की मेरे मालिक को मेरे बाल की जरुरत होती है वो मेरे बाल को बाजार में बेचता है।

कुछ रोज बाद ये बाल वो काट लेगा। तब मैं आ जाऊंगी। शेर ने कहा अगर न आयी तो।

भेड़ ने कहा 3 महीने तक इंतजार करना फिर मैं अगर न आयी तो मेरे सभी साथियों पर हमला कर देना।

शेर ने पूछा 3 महीने ही क्यों। भेंड़ बोली क्योकि मेरे मालिक मुझे दूसरी जगह भेज देते है बाल कट जाने पर हम सभी भेंड़े ट्रक से वापस भेज दी जाती हैं।

जिसमे दो तीन महीने निकल जातें हैं।

शेर को भेंड़ का प्रस्ताव अच्छा लगा। उसने भेंड़ों को जाने दिया। रास्ते में चलते चलते दोनों आपस में बातें करने लगीं। समझदार भेंड़ ने चलाक भेंड़ से कहा तुम्हारी बोलती  शेर को देख कर बंद ही हो गयी।

चलाक भेंड़ ने कहा की बुरी परिस्थिति में मेरी चलाकी काम नहीं करती है। उसने समझदार भेंड़ से पूछा की तुम बिना डरे शेर से कैसे बात कर रही थी।

 समझदार भेंड़ ने जवाब दिया की डर तो थोड़ा लग रहा था। पर मेरी समझदारी बनावटी नहीं है। ये मेरे हर
परिस्थिति में साथ देती है और मैंने जो चीज देखी सुनी वही शेर को बता दी।

 वही हमारे बचने का ज़रिया बन गया। दोनों आगे चलते रहें। अब उनको जंगल के किसी भी जानवर से छुपना नहीं पड़ रहा था।

 पुरे जंगल में ये बात फैल गयी थी की ये दोनों शेर का शिकार हैं इनको किसी ने भी मारने या खाने का प्रयास किया तो शेर उस जानवर को मार देगा।

चलाक भेंड़ ने दूसरी भेंड़ से फिर पूछा हमारी खाल में से ऊन निकल जाने के बाद का सोचा है। समझदार भेंड़ ने कहा अभी तो नहीं। पर इस वक्त जान तो बच गयी।

दोनों भेंड़ बात करते करते घर पहुंच गयी। कुछ रोज बाद उनके ऊन निकाल लिए गयें। दिन बीतने पर शेर से किये वादे को लेकर वो मन ही मन घबड़ा रहीं थीं।

तीन महीने पुरे होने को आयें। वादे के मुताबिक  वो दोनों शेर के गुफा में जातीं हैं। शेर उन दोनों को देख कर आश्चर्य करने लगा। क्योकि तीन महीने बीतने के बाद उनके बाल दुबारा उग आयें।

शेर ने कहा तुम्हारे बाल अभी गयें नहीं। समझदार भेंड़ ने कहा की महाराज हमारे बाल जल्दी उग आतें हैं। कृपा कर के एक और मौका दें। शेर ने कहा ठीक है दिया मौका।

 समय बीतने पर हर बार उनके बाल वैसे के वैसे ही उग आते। शेर उन्हें खाने की ललक में मौका देता जाता। एक दिन आया की शेर उन दोनों के बार बार उसी तरह वापस आने पर गुस्सा हो गया और खूब दहाड़ा।

दोनों भेंड़ डरने लगीं। शेर ने कहा। हर तीन महीने का ये पहर मेरा भूखा ही चला जाता है। अब मैं खुद ही इस पहर शिकार कर लूंगा।  शेर ने उन दोनों को आखिर में जाने दिया। वो दोनों ख़ुशी ख़ुशी अपने घर आ गयीं।

व्यक्ति की चलाकी सही समय पर खूब चलती है। पर बुरे वक्त में कोई भी चलाकी काम नहीं आती। वो एक रास्ते को चुन ही नहीं पाता क्योकि वो ज्यादा सोचता है।

वहीं समझदार व्यक्ति बुरी परिस्थिति में भी समझ से काम लेता है और एक ही रास्ते पर रहता है रास्ते में कठिनाई आने पर भी वो उसी पर चलता रहता है और वो अपनी मंजिल पा लेता है।

ये बात जीवन में मायने रखती है की चलाक व्यक्ति बुरे वक्त में अपनी बुद्धि खो सकता है।
पर समझदार व्यक्ति बुरे वक्त में भी समझदार रहता है और जो भी उसके साथ हुआ रहता है उन्हीं कारणों से वो अपनी परिस्थिति को सुधार लेता है।


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