Bad Sad Coldness
कुछ कहानियाँ हम देखते हैं। कुछ को महसूस करते हैं और कुछ हम जीते हैं। ये ऐसा ही है, जैसा हम अपनी सोच से समझना चाहतें हैं।
कभी मैं जो कहानी सोचता हूँ। लिखते समय खुश भी होता हूँ और कभी दिल को छू जाने पर रो भी लेता हूँ।
शायद मैं उसे जीता हूँ।
इसे मैं अपनी नज़रों से भले न देखूं , न ही किसी और से सुनूं। ये बस मेरी feeling है। जो कहीं न कहीं किसी व्यक्ति के जीवन से जुड़ जाती है।
बात करतें है उस लड़की की जो नूज़ीलैण्ड के क्राइस्टचर्च शहर में रहती थी। आज हम एक सर्च गूगल पर करते हैं तो पूरा देश हमारे सामने आ जाता है। हम सारा देश देखना और घूमना चाहतें हैं। खुल कर घूमना चाहतें हैं पर अगर आप के पास कोई घर न हो पैसे न हों सर्दियों के मौसम में ओढ़ने के लिए बस एक चादर हो। आप क्या महसूस करेंगे। मैं आप को डरा नहीं रहा बस इतना बता रहा हूँ। ये उस लड़की की परिस्थिति है जो सिर्फ 10 साल की है। उस लड़की को दुनियाँ नहीं घूमना बस उसे एक छोटी सी जगह की तलाश है जहाँ वो जी सके।
सोफी, यही उसका नाम था। सोफी चादर ओढ़ कर सड़क पर चल रही थी।
क्या हुआ था, उसकी जिंदगी में।
उसे किसी ने अनाथ आश्रम में छोड़ दिया था। पर वहां के रहन सहन और दाई से सोफी खुश नहीं थी। उसे दाई हमेशा छोटी छोटी गलतियों पर डाँटती और मारती थी।
एक रात दरवाजे की चाभी लेकर उसने दरवाजा खोला और भाग गयी। उसे चाभी आसानी से मिल गयी थी। क्योंकि दाई चाभी एक गुलदस्ते में रखती थी। जिसे सोफी ने देख लिया था।
तब से सोफी 3 महीने से भागी हुए है और अब नवम्बर महीना आ गया है। अब उसे एक जगह चाहिए थी। रहने के लिए।
कभी कभी हम उस परिस्थिति में घिर जातें हैं, जहाँ किसी का सहारा मिलते नजर नहीं आता।
अगर हम नजर उठा कर देखे तो, और लोग भी यही बात सोच रहे होतें हैं।
समझना ये है की हमारे रास्ते नहीं मिल रहे है तो दुसरो के दो कदम हम आसान क्यों नहीं कर सकते।
शायद इससे ही तुम्हारे मंजिल की शुरुआत हो जाये।
सोफी उस वक्त भूखी और प्यासी थी। वो बेन्च पर हताश हो कर बैठी थी। एक बूढ़ी औरत जो भीख मांग रही थी। उसे सड़क पार करना था।
सोफी ये देख रही थी। वो दौड़ी और उसने बूढ़ी औरत का हाथ थाम लिया। उन दोनों ने सड़क पार कर लिया।
बूढ़ी औरत अकेली थी। पर अब सोफी का साथ पा कर वो खुश थी।
उसने सोफी से कहा की तुम भूखी लग रही हो। उसने अपने झोले से एक सेब निकाला और कहा ये लो इसे खा लो। उसने सेब के दो हिस्से किये एक सोफी को दिया और एक हिस्सा खाया।
बूढ़ी औरत का घर नहीं था। वो रोड के किनारे कुछ कपड़े बिछा कर सो जाती थी। सोफी भी उसके साथ वहीं सो गयी। सोफी अब उसके साथ ही रहती थी। एक महीना बीतने को आया। दोनों साथ खुश थें।
28 नवम्बर आ गया। सर्दी की मीठी सुरुवात नूज़ीलैण्ड में ओलों और छोटे छोटे बर्फ की फुहार से शुरू होने वाल महीना।
अगले दिन सुबह सूफी उठी। उसने बूढ़ी औरत को उठाना चाहा पर वो किसी और दुनिया में जा चुकी थी। शायद बूढ़ी औरत का साथ सिर्फ इतना ही था, सोफी के लिए।
ठण्ड से बचने के लिए बुढ़िया ने जो कंबल सोफी को दिए थें। वही कंबल सोफी ने बुढ़िया को ओढ़ा दिया और बस एक चादर लेकर सोफी वहां से आगे बढ़ गयी।
सोफी कई दिनों तक भटकती रही उसे कही से खाना या पैसे मिल ही जाया करते थें। कितनी बार वो भगायी भी गयी लेकिन वो हताश नहीं हुयी। किसी तरह वो अपना गुजरा कर ही लेती थी। ठण्ड भरी रातों में कहीं आंग जलते देख वो उसके किनारे बैठ जाती थी।
लेकिन सर्दी की एक रात वो कपकपाने लगी उसे तेज बुखार था उस वक्त करीब रात का 11 बज रह था। अचानक उसने हल्ला सुना और वो तेज रौशनी देख रही थी। सोफी दौड़ कर उस जगह पहुँच गयी। उसे कुछ लोगो ने रोक लिया क्योकि वहां भयंकर आंग की लपटें निकल रहीं थीं।
उसने देखा की एक दुकान जिसमे भयंकर आंग लगी है और आंग भुजाने वाले दुकान पर पानी फेक रहें हैं। सोफी ने सुना की ये दूकान शराब की थी। ठीक था ये की, दुकान में जो थें, वो सारे बाहर आ गए थे।
सोफी को उसकी आँच लग रही थी जो उसे गरमाहट पंहुचा रही थी दमकल वालो ने कई घंटो बाद आंग पर काबू पाया। धीरे धीरे भीड़ छटने लगी। दुकान जलने का कारण किसी शराबी को माना जा रहा है।
जो भी हो, आंग की गरमाहट कई माँसूमो को जिंदगी दे रही थी। कुछ भी ख़राब नहीं होता बसरते सही वक्त और सही जगह पर उसका इसतेमाल हो।
अब शराब को ही ले लीजिये, अगर इसे कटे जगह पर लगायेंगे तो फायदा ही पहुँचाएगी।लेकिन मुँह से लगाने पर इसके नशे में शायद किसी की दूकान ही जला बैठो।
सोफी अब ठीक महसूस कर रही थी,पर बुख़ार अब भी था। वो दूकान से निकलते धुऐं को देख रही थी जो आसमान में जा रहें थें।
उसे एक अजीब ख़याल आया की पानी ने अपनी सारी ताकत लगाकर आंग को बुझा दिया और खुद भी ख़त्म हो गयी। अब पानी ने धुऐं को जन्म दिया है ,जो आसमान का सहारा लेकर बादल बनाएगी और कुछ दिंनो में पानी की नयी बूंदें जमीन पर उतरेंगी।
सोफी धुऐं को देख कर मुस्कुरायी और वहीँ रोड के बेंच पर सो गयी।
भोर हो रही थी करीब 4 बजे थे। आसमान से तेज बर्फ के ओले पड़ने लगें। 7 बजते-बजते पुरे क्राइस्टचर्च शहर में बर्फ की चादर सी बन गयी। पेड़ों की डालियाँ बर्फ जमने से झुक गयीं। लोगों के घरों और दुकानों पर भी बर्फ जम गयी।
धीरे-धीरे लोगो ने बर्फ को हटाना शुरू किया। एक आदमी की नजर उस बेंच पर गयी जहाँ सोफी सोयी थी। बेंच पर सोफी की चादर नजर आ रही थी उसने बेंच पर गिरी बर्फ को हटाया।
तभी और लोग वहां आ पहुंचे। सोफी की साँसे चल रहीं थी। पर वो हिल नहीं पा रही थी। वो पूरी तरह से जम गयी थी। लोगो ने उसके पैरों और हथेलियों को मला भी,पर कुछ नहीं हो पा रहा था।
सोफी का दिल खून को पुरे शरीर में दौड़ाने की कोशिश कर रहा था। पर वो नाकाम हो जाता। उसकी साँसे तेज होने लगी, तेज ठण्ड की वजह से उसके हाथ और पाँव की अंगुलियाँ सिकुड़ने लगीं।
चेहरा सफ़ेद होने लगा। उसकी नजरे एकदम से ठहर गयीं। सोफी की नजरो में उसके बीते दिन साफ़ झलक रहें
थें। जो लड़की ठण्ड से बचने के लिए छोटी छोटी जगहों पर छुपा करती थी। आंग कहीं मिल जाने पर उसके सिरहाने माँ के प्यार जैसा महसूस करती थी।
आज वो खुले मैदान में एक बेंच पर बर्फ की चादर में लिपटी हुए है।
एक बुढ़िया सोफी के पास आयी उसने सोफी के माथे पर हाथ रखा, माथा बिलकुल ठंडा हो गया था।
और धीरे-धीरे सोफी का पूरा शरीर ठंडा पड़ गया। अब वो ठंड से कपकपा नहीं रही थी।
जो गर्मी उसके सीने में दबी हुई थी वो गर्म सांसो के रूप में बाहर निकल गयी। जो चीज उसे लड़ने के लिए मजबूर कर रही थी, तकलीफ दे रही थी, वो चीज अब आजाद थी।
सोफी ने बुढ़िया का हाथ पकड़ा और उसके साथ चलने लगी। लड़की ने पूछा हम कहाँ जा रहें हैं ? बुढ़िया ने जवाब दिया की, हम वहां जा रहें है जहाँ ठण्ड और सभी मौसम तुम्हारी गुलाम हैं। प्रकृति ने दोनों के लिए जमीं से आसमान तक बादलों की सीढ़ी बना दी।
ठण्ड और गर्मी ने सोफी को बर्फ से बना कपड़ा पहनाया जो अंदर से गर्म था और बहार से ठंडा था।
हर कदम पर सोफी को एक नया तोहफा मिलता जाता। बुढ़िया और सोफी दोनों बाते कर रहे थे।
तभी सोफी की नजर बेंच पर गयी उसने देखा की उसी की तरह दिखने वाली एक लड़की एक बेंच पर लेटी हुयी है।
सोफी ने बुढ़िया से पूछा की ये मेरे जैसी दिखने वाली लड़की कौन है।
बुढ़िया ने जवाब दिया की वो तुम ही थी दुनिया के लिए, वो तुम्हारा अंत था और ये तुम्हारी नयी शुरुआत है। सोफी ने "धुऐ से बने पानी की बात" सोची वो मुस्कुरायी और बुढ़िया के साथ आगे चल दी।
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कभी मैं जो कहानी सोचता हूँ। लिखते समय खुश भी होता हूँ और कभी दिल को छू जाने पर रो भी लेता हूँ।
शायद मैं उसे जीता हूँ।
इसे मैं अपनी नज़रों से भले न देखूं , न ही किसी और से सुनूं। ये बस मेरी feeling है। जो कहीं न कहीं किसी व्यक्ति के जीवन से जुड़ जाती है।
बात करतें है उस लड़की की जो नूज़ीलैण्ड के क्राइस्टचर्च शहर में रहती थी। आज हम एक सर्च गूगल पर करते हैं तो पूरा देश हमारे सामने आ जाता है। हम सारा देश देखना और घूमना चाहतें हैं। खुल कर घूमना चाहतें हैं पर अगर आप के पास कोई घर न हो पैसे न हों सर्दियों के मौसम में ओढ़ने के लिए बस एक चादर हो। आप क्या महसूस करेंगे। मैं आप को डरा नहीं रहा बस इतना बता रहा हूँ। ये उस लड़की की परिस्थिति है जो सिर्फ 10 साल की है। उस लड़की को दुनियाँ नहीं घूमना बस उसे एक छोटी सी जगह की तलाश है जहाँ वो जी सके।
सोफी, यही उसका नाम था। सोफी चादर ओढ़ कर सड़क पर चल रही थी।
क्या हुआ था, उसकी जिंदगी में।
उसे किसी ने अनाथ आश्रम में छोड़ दिया था। पर वहां के रहन सहन और दाई से सोफी खुश नहीं थी। उसे दाई हमेशा छोटी छोटी गलतियों पर डाँटती और मारती थी।
एक रात दरवाजे की चाभी लेकर उसने दरवाजा खोला और भाग गयी। उसे चाभी आसानी से मिल गयी थी। क्योंकि दाई चाभी एक गुलदस्ते में रखती थी। जिसे सोफी ने देख लिया था।
तब से सोफी 3 महीने से भागी हुए है और अब नवम्बर महीना आ गया है। अब उसे एक जगह चाहिए थी। रहने के लिए।
कभी कभी हम उस परिस्थिति में घिर जातें हैं, जहाँ किसी का सहारा मिलते नजर नहीं आता।
अगर हम नजर उठा कर देखे तो, और लोग भी यही बात सोच रहे होतें हैं।
समझना ये है की हमारे रास्ते नहीं मिल रहे है तो दुसरो के दो कदम हम आसान क्यों नहीं कर सकते।
शायद इससे ही तुम्हारे मंजिल की शुरुआत हो जाये।
सोफी उस वक्त भूखी और प्यासी थी। वो बेन्च पर हताश हो कर बैठी थी। एक बूढ़ी औरत जो भीख मांग रही थी। उसे सड़क पार करना था।
सोफी ये देख रही थी। वो दौड़ी और उसने बूढ़ी औरत का हाथ थाम लिया। उन दोनों ने सड़क पार कर लिया।
बूढ़ी औरत अकेली थी। पर अब सोफी का साथ पा कर वो खुश थी।
उसने सोफी से कहा की तुम भूखी लग रही हो। उसने अपने झोले से एक सेब निकाला और कहा ये लो इसे खा लो। उसने सेब के दो हिस्से किये एक सोफी को दिया और एक हिस्सा खाया।
बूढ़ी औरत का घर नहीं था। वो रोड के किनारे कुछ कपड़े बिछा कर सो जाती थी। सोफी भी उसके साथ वहीं सो गयी। सोफी अब उसके साथ ही रहती थी। एक महीना बीतने को आया। दोनों साथ खुश थें।
28 नवम्बर आ गया। सर्दी की मीठी सुरुवात नूज़ीलैण्ड में ओलों और छोटे छोटे बर्फ की फुहार से शुरू होने वाल महीना।
अगले दिन सुबह सूफी उठी। उसने बूढ़ी औरत को उठाना चाहा पर वो किसी और दुनिया में जा चुकी थी। शायद बूढ़ी औरत का साथ सिर्फ इतना ही था, सोफी के लिए।
ठण्ड से बचने के लिए बुढ़िया ने जो कंबल सोफी को दिए थें। वही कंबल सोफी ने बुढ़िया को ओढ़ा दिया और बस एक चादर लेकर सोफी वहां से आगे बढ़ गयी।
सोफी कई दिनों तक भटकती रही उसे कही से खाना या पैसे मिल ही जाया करते थें। कितनी बार वो भगायी भी गयी लेकिन वो हताश नहीं हुयी। किसी तरह वो अपना गुजरा कर ही लेती थी। ठण्ड भरी रातों में कहीं आंग जलते देख वो उसके किनारे बैठ जाती थी।
लेकिन सर्दी की एक रात वो कपकपाने लगी उसे तेज बुखार था उस वक्त करीब रात का 11 बज रह था। अचानक उसने हल्ला सुना और वो तेज रौशनी देख रही थी। सोफी दौड़ कर उस जगह पहुँच गयी। उसे कुछ लोगो ने रोक लिया क्योकि वहां भयंकर आंग की लपटें निकल रहीं थीं।
उसने देखा की एक दुकान जिसमे भयंकर आंग लगी है और आंग भुजाने वाले दुकान पर पानी फेक रहें हैं। सोफी ने सुना की ये दूकान शराब की थी। ठीक था ये की, दुकान में जो थें, वो सारे बाहर आ गए थे।
सोफी को उसकी आँच लग रही थी जो उसे गरमाहट पंहुचा रही थी दमकल वालो ने कई घंटो बाद आंग पर काबू पाया। धीरे धीरे भीड़ छटने लगी। दुकान जलने का कारण किसी शराबी को माना जा रहा है।
जो भी हो, आंग की गरमाहट कई माँसूमो को जिंदगी दे रही थी। कुछ भी ख़राब नहीं होता बसरते सही वक्त और सही जगह पर उसका इसतेमाल हो।
अब शराब को ही ले लीजिये, अगर इसे कटे जगह पर लगायेंगे तो फायदा ही पहुँचाएगी।लेकिन मुँह से लगाने पर इसके नशे में शायद किसी की दूकान ही जला बैठो।
सोफी अब ठीक महसूस कर रही थी,पर बुख़ार अब भी था। वो दूकान से निकलते धुऐं को देख रही थी जो आसमान में जा रहें थें।
उसे एक अजीब ख़याल आया की पानी ने अपनी सारी ताकत लगाकर आंग को बुझा दिया और खुद भी ख़त्म हो गयी। अब पानी ने धुऐं को जन्म दिया है ,जो आसमान का सहारा लेकर बादल बनाएगी और कुछ दिंनो में पानी की नयी बूंदें जमीन पर उतरेंगी।
सोफी धुऐं को देख कर मुस्कुरायी और वहीँ रोड के बेंच पर सो गयी।
भोर हो रही थी करीब 4 बजे थे। आसमान से तेज बर्फ के ओले पड़ने लगें। 7 बजते-बजते पुरे क्राइस्टचर्च शहर में बर्फ की चादर सी बन गयी। पेड़ों की डालियाँ बर्फ जमने से झुक गयीं। लोगों के घरों और दुकानों पर भी बर्फ जम गयी।
धीरे-धीरे लोगो ने बर्फ को हटाना शुरू किया। एक आदमी की नजर उस बेंच पर गयी जहाँ सोफी सोयी थी। बेंच पर सोफी की चादर नजर आ रही थी उसने बेंच पर गिरी बर्फ को हटाया।
तभी और लोग वहां आ पहुंचे। सोफी की साँसे चल रहीं थी। पर वो हिल नहीं पा रही थी। वो पूरी तरह से जम गयी थी। लोगो ने उसके पैरों और हथेलियों को मला भी,पर कुछ नहीं हो पा रहा था।
सोफी का दिल खून को पुरे शरीर में दौड़ाने की कोशिश कर रहा था। पर वो नाकाम हो जाता। उसकी साँसे तेज होने लगी, तेज ठण्ड की वजह से उसके हाथ और पाँव की अंगुलियाँ सिकुड़ने लगीं।
चेहरा सफ़ेद होने लगा। उसकी नजरे एकदम से ठहर गयीं। सोफी की नजरो में उसके बीते दिन साफ़ झलक रहें
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आज वो खुले मैदान में एक बेंच पर बर्फ की चादर में लिपटी हुए है।
एक बुढ़िया सोफी के पास आयी उसने सोफी के माथे पर हाथ रखा, माथा बिलकुल ठंडा हो गया था।
और धीरे-धीरे सोफी का पूरा शरीर ठंडा पड़ गया। अब वो ठंड से कपकपा नहीं रही थी।
जो गर्मी उसके सीने में दबी हुई थी वो गर्म सांसो के रूप में बाहर निकल गयी। जो चीज उसे लड़ने के लिए मजबूर कर रही थी, तकलीफ दे रही थी, वो चीज अब आजाद थी।
सोफी ने बुढ़िया का हाथ पकड़ा और उसके साथ चलने लगी। लड़की ने पूछा हम कहाँ जा रहें हैं ? बुढ़िया ने जवाब दिया की, हम वहां जा रहें है जहाँ ठण्ड और सभी मौसम तुम्हारी गुलाम हैं। प्रकृति ने दोनों के लिए जमीं से आसमान तक बादलों की सीढ़ी बना दी।
ठण्ड और गर्मी ने सोफी को बर्फ से बना कपड़ा पहनाया जो अंदर से गर्म था और बहार से ठंडा था।
हर कदम पर सोफी को एक नया तोहफा मिलता जाता। बुढ़िया और सोफी दोनों बाते कर रहे थे।
तभी सोफी की नजर बेंच पर गयी उसने देखा की उसी की तरह दिखने वाली एक लड़की एक बेंच पर लेटी हुयी है।
सोफी ने बुढ़िया से पूछा की ये मेरे जैसी दिखने वाली लड़की कौन है।
बुढ़िया ने जवाब दिया की वो तुम ही थी दुनिया के लिए, वो तुम्हारा अंत था और ये तुम्हारी नयी शुरुआत है। सोफी ने "धुऐ से बने पानी की बात" सोची वो मुस्कुरायी और बुढ़िया के साथ आगे चल दी।
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