कहानी: "साजिश का जाल"
कुछ दशकों पहले की बात है। एक उभरता हुआ देश "इन्दोसिया", जो अपनी तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था और वैज्ञानिक प्रगति के लिए जाना जाता था, ने दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा। इन्दोसिया के लोग मेहनती, एकजुट, और अपनी संस्कृति पर गर्व करने वाले थे। लेकिन यह प्रगति एक बड़े और शक्तिशाली देश "अमेरिस्टान" को चिंतित कर रही थी।
अमेरिस्टान, जो हमेशा से दुनिया पर अपनी आर्थिक और राजनीतिक पकड़ बनाए रखना चाहता था, इन्दोसिया की इस तेजी से बढ़ती ताकत को अपने लिए एक बड़ा खतरा मानने लगा।
शतरंज की पहली चाल
अमेरिस्टान के सबसे ताकतवर नेताओं और रणनीतिकारों ने गुप्त बैठकों में यह तय किया कि अगर इन्दोसिया को रोका नहीं गया, तो जल्द ही यह देश उनकी अर्थव्यवस्था और प्रभुत्व को चुनौती देगा।
उनका एक सलाहकार बोला,
"अगर हम इन्दोसिया के लोगों को उनके धर्म, जाति और परंपराओं के नाम पर बांट दें, तो वे खुद ही कमजोर हो जाएंगे। और जब वे आपस में लड़ेंगे, तब हम अपनी ताकत बढ़ा सकते हैं।"
योजना के तहत, उन्होंने इन्दोसिया के प्रधान मंत्री राघवेंद्र शास्त्री को एक विशेष निमंत्रण भेजा। इसमें लिखा गया था:
"अमेरिस्टान और इन्दोसिया के बीच सहयोग और दोस्ती को मजबूत करने के लिए, हम आपको हमारे देश में आमंत्रित करते हैं। हम आपके साथ साझेदारी के नए आयाम तलाशना चाहते हैं।"
राघवेंद्र शास्त्री, जो इन्दोसिया के भविष्य के लिए हमेशा उत्सुक रहते थे, इस निमंत्रण को ठुकरा नहीं सके। उन्होंने इसे अपने देश के लिए एक अवसर माना।
अमेरिस्टान की चमक
जब राघवेंद्र शास्त्री अमेरिकिस्तान पहुंचे, तो उनका राजकीय स्वागत हुआ। उन्हें शानदार होटलों में ठहराया गया, जहां हर सुविधा उनके लिए उपलब्ध थी। उन्हें अमेरिकिस्तान के सबसे उन्नत शहरों, अत्याधुनिक तकनीकों, और शानदार परियोजनाओं को दिखाया गया।
एक शाम, अमेरिकिस्तान के राष्ट्रपति एडम कार्टर ने शास्त्री जी को अपने भव्य कार्यालय में बुलाया।
एडम ने बड़े ही आत्मीयता से कहा,
"शास्त्री जी, आपके देश की प्रगति देखना अद्भुत है। लेकिन प्रगति तभी स्थिर रहती है, जब जनता एक नियंत्रित दिशा में रहे।"
शास्त्री जी ने चौंककर पूछा,
"आपका मतलब क्या है?"
एडम ने मुस्कुराते हुए एक फाइल उनकी ओर बढ़ाई।
"देखिए, अगर आपकी जनता धर्म और जाति के नाम पर व्यस्त रहे, तो वे विकास के बड़े मुद्दों पर ध्यान नहीं देंगे। इससे आप अपनी सत्ता को स्थिर रख सकते हैं। और इस प्रक्रिया में, हम आपकी मदद करेंगे।"
शास्त्री जी असमंजस में पड़ गए। उन्होंने पूछा,
"और बदले में?"
एडम ने शांत स्वर में जवाब दिया,
"आपका देश हमारी आर्थिक और व्यापारिक नीतियों के अनुसार काम करेगा। हम आपकी सरकार को अरबों डॉलर की मदद देंगे। बस, आपको हमारी बताई रणनीति पर अमल करना होगा।"
लालच और अंधकार का आरंभ
शास्त्री जी को अमेरिकिस्तान की चमक-दमक ने चकाचौंध कर दिया। उन्होंने सोचा कि अगर यह पैसा उनके देश के विकास में लग सके, तो यह एक बड़ा कदम हो सकता है।
लेकिन उन्हें यह समझ नहीं आया कि यह मदद इन्दोसिया को गुलाम बनाने की एक चाल थी।
वापस लौटते ही, शास्त्री जी ने अमेरिकिस्तान से मिली आर्थिक सहायता को अपने कुछ करीबी सहयोगियों में बांट दिया। इसके बाद, उन्होंने ऐसी नीतियां बनानी शुरू कीं, जो जनता के बीच धर्म और जाति के आधार पर विभाजन पैदा करें।
• सरकारी नौकरियों में धर्म और जाति को प्राथमिकता दी जाने लगी।
• स्कूलों में छात्रों को उनकी जाति और धर्म के आधार पर अलग-अलग समूहों में बांटा गया।
• मीडिया ने धर्म और जाति के मुद्दों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाना शुरू कर दिया।
धीरे-धीरे, इन्दोसिया के लोग आपस में लड़ने लगे। गांव, कस्बे, और यहां तक कि बड़े शहर भी दंगों की चपेट में आ गए। उद्योग बंद होने लगे, निवेश घटने लगा, और देश की अर्थव्यवस्था कमजोर पड़ने लगी।
अमेरिकिस्तान की जीत
अमेरिकिस्तान अपनी योजना में पूरी तरह सफल हो गया। उन्होंने इन्दोसिया की आर्थिक कमजोरियों का फायदा उठाकर वहां के प्राकृतिक संसाधनों को सस्ते दामों में खरीदना शुरू कर दिया।
इन्दोसिया अब अमेरिकिस्तान की तकनीक और उत्पादों पर निर्भर हो गया।
इस बीच, राघवेंद्र शास्त्री धीरे-धीरे अपनी लोकप्रियता खोने लगे। जनता को यह एहसास हुआ कि उनका नेता उन्हें गुमराह कर रहा है। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
सीख
यह कहानी हमें सिखाती है कि कैसे लालच और सत्ता का खेल एक पूरे देश को बर्बाद कर सकता है। अगर जनता जागरूक हो और नेता सच्चे हों, तो कोई बाहरी ताकत किसी देश को कमजोर नहीं कर सकती।
"विकास की असली कुंजी जनता की एकता और जागरूकता में है, न कि धर्म, जाति, और परंपराओं के नाम पर बांटने में।"
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